जीवन ऊट पटाँगा - 11 - मातमपुर्सी

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मातमपुर्सी “आप किन से बात करना चाहते हैं ?” फ़ोन उठाते ही विनोद बोला । “यार! मैं नवीन बोल रहा हूँ । तू ने कुछ सुना ? सुरेन्द्र वापस आ गया है ।” “कब वापस आया ?” “कल ही आया है । हमारे ऑफ़िस में उस का जो पड़ौसी काम करता है न, वह बता रहा था ।” “हम लोगों को मातमपुर्सी के लिये जाना चाहिये,” विनोद एकदम व्यग्रता से बोला । “हूं, जाना तो चाहिये । लेकिन दस बारह किलोमीटर दूर जाना इन ऑफ़िस के दिनों में तो हो नहीं सकता। ” “एक दिन तकलीफ उठा लेंगे तो क्या