नाक कट जाएगी

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हम भारतीयों की नाक हर क्षण कट कर पुनरुदभव हो जाती है ठीक वैसे ही जैसे किसी छिपकली की पूंछ। आखिर कटे भी क्यों न, विश्व में हमारा मान ही इतना है। लेकिन गर्द तो हमें अपने समाज का है। समाज में नाक नहीं कटनी चाहिए चाहें बाकि शरीर का एक एक अंग कट जाए। शूर्पणखा की नाक भी एक बार कटी थी पर हमारी नाक हर क्षण कट रही है जैसे नाक न होकर कोई तरकारी हो। नाक पर मक्खी न बैठने देने वालों का तो ये विशेष रोना है कि बस नाक बचा लेना प्रभु। इतनी लम्बी तो