एक बार राजा विक्रमादित्य की सभा में एक व्यापारी ने प्रवेश किया। राजा ने उसे देखा तो देखते ही उनके मन में विचार आया कि क्यों न इस व्यापारी का सब कुछ छीन लिया जाए। व्यापारी के जाने के बाद राजा ने सोचा – मैं प्रजा को हमेशा न्याय देता हूं। आज मेरे मन में यह अन्याय पूर्ण विचार क्यों आ गया कि व्यापारी की संपत्ति छीन ली जाये और उसे संपत्ति विहीन कर दिया जाए?विक्रमादित्य ने अपने मंत्री से सवाल किया। मंत्री ने कहा, “इस प्रश्न का सही जवाब मैं कुछ दिन बाद दे पाउंगा, राजा ने मंत्री की