विश्वासघात(सीजन-२)--भाग(१०)

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गिरधारीलाल जी अनवर चाचा को देखकर कुछ सोच में पड़ गए..... गिरधारी लाल जी के कुछ बोलने से पहले ही अनवर चाचा उनसे पूछ बैठे.... सेठ जी! क्या इन्सपेक्टर करन ही मेरा करन है? बोलिए ना....बताइए ना...! जी! हाँ!मैने आपको पहचान लिया है आप वहीं हैं ना जो किसी मजबूरी बस रेलगाड़ी में करन को मेरे हवाले कर गए थे,जी आपका करन अब इन्सेपेक्टर करन ही है,सेठ गिरधारीलाल जी बोले।। ओह....सेठ जी! मैं आपका एहसानमंद हूँ,मैं आपका शुक्रिया कैसे अदा करूँ? आपने करन को पालपोसकर बड़ा किया और इस काबिल बनाया,आज मैं बहुत खुश हूँ कि मेरा करन मिल गया,अनवर