तर्ज़नी से अनामिका तक - भाग ११

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91. फिजूलखर्ची का दुष्परिणाम हमारे देष के प्रसिद्ध धार्मिक एवं पर्यटन स्थल वाराणसी षहर में एक संभ्रांत, सुषिक्षित एवं संपन्न परिवार में एक बालक ने जन्म लिया था। वह जब वयस्क हुआ तब उसका रहन सहन राजा महाराजाओं के समान खर्चीला था। अपनी प्रारंभिक षिक्षा पूर्ण करने के उपरांत उसने हिंदी में लेखन प्रारंभ किया और वह एक प्रखर लेखक एवं कवि के रूप में प्रसिद्ध हो गया। उसने हिंदी साहित्य के क्षेत्र में अपने रचनात्मक सृजन से बहुत प्रसिद्धि प्राप्त की थी। वह एक विद्वान व्यक्ति के रूप में जाने जाते थे।