तीन महीने बाद… आई क्लिनिक में ... "डॉक्टर साहब… मेरी दीदी को बचा लो, आज सुबह से इन्हें कुछ साफ नहीं दिख रहा, कल सोई थी तब तो ठीक थी लेकिन न जाने रात भर में क्या हो गया, कह रहीं हैं कि मुझे कुछ दिख ही नहीं रहा है", एक किन्नर ने गिड़गिड़ाते हुए कहा | सुभाष ने उठकर देखा और बोला, "ओ हो.. तो तुम हो... क्या बोला था तुमने उस दिन कि मैं भी तुम्हारी तरह हूं, हां.."| किन्नर -" अरे डॉक्टर साहब वह तो हम सब को मजबूरी में कहना पड़ता है, हमारी आदत है वरना