साला फटीचर आज काम का बोझ बहुत ज्यादा था, आलोक को मानो साँस लेने की भी फुर्सत नहीं थी। ऐसे में जब पियून ने किसी विजय कुमार का कार्ड लाकर सामने रखा तो उसने मना ही कर दिया... एक तो थकान से मन चिड़चिड़ाया हुआ है तिस पर से बिना पहले से अपॉइंटमेंट लिए क्यों आ जाते हैं लोग? किसी दूसरे की प्राॅब्लम समझने का कल्चर ही नहीं है इधर! कोई जिद्दी आदमी ही रहा होगा जो पियून के रोकने के बावजूद फिल्मी स्टाइल में जबरदस्ती केबिन में घुसा चला आ रहा था। झल्लाकर नजर ऊपर उठाई तो चौंक ही