सुबह के 9 बज चुके हैं, धूप धीरे-धीरे खिसकती हुई खिड़की तक आ पहुँची है और शेखर अभी भी सो ही रहा है, शायद बीती रात दर्द कुछ ज़्यादा ही था, जिसके चलते नींद बहुत देरी से लगी। और फिर शरीर में कहीं अगर पीड़ा हो तो नींद कम ही आती है, वही पीडा हमें जगाये रखती है।शेखर एक साफ्टवेयर इंजीनियर है और पिछले 2 साल से दिल्ली में रह रहा है, पिछले हफ्ते ऑफिस से घर आते समय उसका एक रोड एक्सीडेंट हो गया था, खैर एक्सीडेंट मेें कोई हड्डी तो नहीं टूटी पर दाहिना पैर बहुत बुरी तरह