नैनं छिन्दति शस्त्राणि - 33

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33 जेल में समिधा जो देखकर आ रही थी, असहज करने के लिए पर्याप्त था | ज़िंदगी यूँ किस प्रकार घिसटती है? क्या-क्या खेल दिखाती है, किस प्रकार के काम करवाती है? क्या नाटक करवाती है?  शेक्सपीयर की लिखी बात उसके ज़ेहन में गहरे समाई हुई थी | ’जीवन नाटक है ‘उस नाटक में भी न जाने कैसे-कैसे नाटक आदमी को खेलने व झेलने पड़ते हैं | उसका मन बेचारगी से भर उठा –कैदियों के लिए । उस पीटने वाली औरत के लिए, रौनक के लिए, उसके स्वयं के लिए या फिर जीवन से जुड़ी हर बात के लिए ?