नैनं छिन्दति शस्त्राणि - 32

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32 लगभग एक घंटे तक नृत्य चलता रहा और कैमरों में कैद होता रहा | बाद में सबको पंक्ति में बैठाकर कुछ मिष्ठान बाँटा गया और प्रश्नोत्तरी शुरू की गई |  समिधा का मन उन बंद सींकचों के कैदियों की ओर बार -बार जा रहा था | उसने देखा उन सबको भी कागज़ की पुड़ियों में मिष्ठान दिया गया था जिसे लेते हुए उनके चेहरों पर किसी बेचारगी का भाव नहीं था | समिधा उन पर दृष्टि चिपकाए बैठी थी | कागज़ की पुड़िएँ पकड़ते हुए भी उन्हें कोई शर्म या झिझक महसूस नहीं हो रही थी | वे अपनी