मृगतृष्णा तुम्हें देर से पहचाना - 2

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अध्याय दो सहोदरा तुम भी दीदी घर की सबसे बड़ी थी तुम।माँ के बाद तुम्हीं एकमात्र ऐसी थी जो मेरी सारी खूबियों और  कमियों को जानती थी।जिससे मैं अपना सारा सुख-दुःख कह सकती थी, बाकी सात भाई -बहन तो मुझसे छोटे हैं और वे सहोदर होते हुए भी उतने करीब नहीं हैं जितनी तुम थी।अभी माँ के जाने का दुःख कम नहीं हुआ था कि तुम भी चली गयी दीदी।हमने बचपन एक साथ जीया था ।तुम मुझसे पाँच साल ही तो बड़ी थी ।बचपन से ही तुम पर जिम्मेदारियां थीं।अपने से छोटे भाई-बहनों को नहलाना धुलाना, बहनों की चोटी बनाना