Continue from the previous chapter… Chapter-4.3: दोस्ती माधव ने अपने मन को मनाने की बहुत कोशिश की पर उसका मन नहीं माना पर मजबूरी की वज़ह से माधव ने कीर्ति के साथ गाना गाने की तैयारी शुरू कर दी। गीत गाने से पहले 1 हफ़्ते दोनों को रिहर्सल करने थे, उसमें भी दोनों की नोक झोंक होती रहती थी। जैसे तैसे उन दोनों ने रिहर्सल ख़त्म किए और वो दिन आ ही गया जब दोनों को एक साथ एक ही स्टूडियो में एक ही गीत गाना था। “नर्वस हो?” कीर्ति ने माधव से पूछा। “तुझे उससे क्या? तू