रमा भागते हुए अपने अपने घर पहुँच कमरे में खुद को बंद कर ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी। आज अगर वो बच्चे न होते तो मेरा क्या होता। यह सोच वह दहाड़े मार रो रही थीं, पर उसे सुनने वाला कोई नहीं था। सब मौसी के बेटे की शादी में गए हुए थे । कहीं उसका परछावा नई दुल्हन पर न पड़ जाए इसलिए उसे साथ लेकर नहीं गए। इनकी बेटी आज हलाल कर काट दी जाती तो भी इन्हें कोई फ़र्क न पड़ता। ऐसे जीवन से मरना भला कहकर उसने चारपाई पर रखी चादर उठाई और छत पर टंगे पंखे