ये उन दिनों की बात है - 30

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इस पर सागर को हँसी आ गई, जिसे मैंने शीशे में देख लिया था | उसे हँसते देखकर मुझे और भी गुस्सा आ गया था |गोविन्द देव जी का मंदिर आते ही मैंने उसे गाड़ी रोकने को कहा |क्या हुआ?और जैसे ही उसने गाड़ी रोकी, मैं तुरंत ही नीचे उतर गई |दिव्या........कहाँ जा रही हो? मैं कहीं भी जाऊं........तुमसे मतलब!!!!! मैं सड़क पार कर जाने लगी | सागर भी मेरे पीछे पीछे आ गया | कहाँ जा रही हो ? बता तो दो !! प्लीज दिव्या.......सुनो तो सही..... देखो ऐसे बीच सड़क मुझसे बात मत करो | नहीं करूंगा......पर बता तो दो,