आनंदी ने कहा मां अब पैकिंग कर लो।कृष्णा ने कहा हां बेटा मैंने थोड़ी बहुत पैकिंग कर लिया है।आनंदी ने भी अपनी सारी किताबें सब ठीक से एक बैग में रख दिया क्योंकि इन सभी में आनंदी की जान बसती थी एक भी इधर उधर नहीं हो सकती थी।आनंदी ने कुछ सोचा और फिर बोली मां एक दिन रीतू दीदी और सबको डिनर पर बुलाते हैं और सबको कुछ गिफ्ट्स लेकर देते हैं।कृष्णा ने बताया हां अच्छा सोचा है हमारे अपने तो ये ही सब है,ठीक है फोन पर सबको बता दो।आनंदी बिना देर किए बस फ़ोन कर दिया और