नैनं छिन्दति शस्त्राणि - 30

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30 पाँच-सात मिनट में ही जेलर साहब ने अपने सभी अतिथियों के लेकर अपने ऑफ़िस में इस अंदाज़ में प्रवेश किया मानो कुछ भी नहीं हुआ था | दोनों महिलाओं को हाथों में पानी के ग्लास थामे देखकर वे बोल उठे ; “अरे ! मैडम, आप लोग इतने शांत क्यों हैं ?पीजिए पानी-वानी !अरे भाई शंकर जी, बाहर से कुछ ठंडा-वंडा मँगवाओ ---“ “आइए, सर बैठिए –“जेलर ने दामले से कहा व स्भीकों बैठने का इशारा किया |  कितने सहज थे सब लोग ! समिधा का सिर चकराने लगा |  “कोई –एक औरत को इतनी बुरी तरह मार सकता है