एक सपना सुहाना

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आज रीमा की आँख जरा देर से खुली,क्योंकि आजकल रात में नींद भी बड़ी देर से आती है।उसने चौंककर इधर- उधर देखा,नितेश दिखाई नहीं दे रहे थे,घड़ी नौ बजा रही थी।सुबह शरीर अत्यधिक भारी रहता है, उठकर काम करना दूभर प्रतीत होता है लेकिन खाना बनाना आवश्यक होता है क्योंकि नितेश को आठ बजे तक कार्यस्थल के लिए निकलना रहता है।वह सोचती हुई कि नितेश ने उठाया क्यों नहीं,आलस को दरकिनार कर बिस्तर पर से उठ खड़ी हुई,नितेश घर में कहीं नहीं थे।"अरे!आज बिना खाए-पिए चले गए क्या?लेकिन बैग तो घर में ही रखा है?कहाँ चले गए सुबह ही बिना