अपने साथ हुऐ धोखे से जादुगरनी गजमोहीनी तिलमिला उठती है तब अपने बनाऐ छली सैनिक को चंद्रिका को कंकाली गुफा में लाने के लिए भेजती है आज्ञा पाकर ये सैनिक कंचनापुर पहुँचता हैउधर निलेश चंद्रिका को समझाता है कि वो यमार पहाड़ी से नीचे न जाऐ बस यही आसपास खेले चंद्रिका खुशी खुशी मान जाती है आखिर उसे बाहर खेलने को जो मिल गया एक दिन अचानक फागू भागता -भागता आता है निलेश उससे अचानक आने का कारण पूछता है फागू उसे बताता है बड़े भैया आज चंद्रिका ने मुझे उठाके फैक दिया सब जोर -जोर से हंसने लगते है कहते है "तो क्या हुआ