सलाम नमस्ते, ‘मौत का खेल’ उपन्यास पहले लिखना शुरू किया था. इस बीच मन में ‘अनोखा जुर्म’ का प्लाट भी तैयार हो गया. इसलिए उसे भी लिखना शुरू कर दिया. पाठकों की शिकायत है कि उनके मन में दोनों कहानियां गडमड हो रही हैं. मुझे भी दोनों कहानियां एक साथ लिखने में दिक्कत हो रही है.अगर आप लोगों की इजाजत हो तो ‘अनोखा जुर्म’ को ‘मौत का खेल’ उपन्यास पूरा होने तक रोक दिया जाए. उसके बाद ‘अनोखा जुर्म’ के आखिर के छह पार्ट को फिर से रिराइट करके अनोखे अंदाज में लिखा जाए.कुमार रहमानएनकाउंटर इंस्पेक्टर कुमार सोहराब एक दीवार की