26 पुण्या ने दो-तीन बार डोर-बैल बजाई परंतु उधर से कोई उत्तर नहीं मिला | समिधा ने उसको चिढ़ाती हुई दृष्टि से देखा, मानो कह रही हो ‘मिलेगी तुम्हें चाय यहाँ –चलो अब वापिस ‘और वह चारों ओर नज़र घुमाने लगी | जेल का वातावरण शांत, सुंदर स्वच्छ लग रहा था | पीछे की ओर वे एक बड़ा सा ‘गेट’ छोड़कर आए थे जो उसके अनुसार जेल के भीतरी भाग में खुलना चाहिए था | चारों ओर नज़र घुमाते-घुमाते समिधा की दृष्टि फिर से दरवाज़े पर आकर चिपकी दरवाज़े पर लगी नाम-पट्टिका पर, जिस पर लिखा; एस. पी. वर्मा जेलर,