नैनं छिन्दति शस्त्राणि - 25

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25 “क्या है, सोने दो न दीदी ?”पुण्या ने करवट बदलनी चाही लेकिन पूरी रात भर गर्दन कुर्सी पर टँगी रहने के कारण उसकी गर्दन ऐंठ गई थी |  “कितनी बदबू में सोई हो, उठो न ---“समिधा थोड़ी घबरा गई थी, कहीं कोई ऊपर आ गया तो अकेली क्या करेगी ? दूसरे सारे तो निद्रा देवी की गोद में अचेतन पड़े थे, तो कम से कम पुण्य तो जग जाए –एक और एक ग्यारह ---!! पुण्या को मानो नंगा तार छू गया –उसकी आँखें तो मानो खुलने के लिए तैयार ही नहीं थीं | समिधा की आवाज़ से जैसे अचानक