उपन्यास भाग—१ अँगड़ाईयॉं– १ आर. एन. सुनगरया, कामेश्वर ने दरवाजा खटखटाया, ‘’ठक्क....ठक्क....!’’ ............द्वार खुलते ही अवाक्य रह गया,…….ओंठ