गुनाहों का देवता - 7

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भाग 7 'नहीं, हमें तो कभी नहीं बताया।' चन्दर बोला। 'तब तो हमने प्यार-वार नहीं किया। गेसू यूँ ही गप्प उड़ा रही थी।' सुधा ने सन्तोष की साँस लेकर कहा, 'लेकिन बस! चाचाजी के नाराज होने पर तुम इतने दु:खी हो गये हो! हो जाने दो नाराज। पापा तो हैं अभी, क्या पापा मुहब्बत नहीं करते तुमसे?' 'सो क्यों नहीं करते, तुमसे ज्यादा मुझसे करते हैं लेकिन उनकी बात से मन तो भारी हो ही गया। उसके बाद गये बिसरिया के यहाँ। बिसरिया ने कुछ बड़ी अच्छी कविताएँ सुनायीं। और भी मन भारी हो गया।' चन्दर ने कहा। 'लो, तब