जीवन ऊट पटाँगा - 8 - सोने का हार

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सोने का हार नवीन व सोना ने नया नया घर बसाया था। दोनों के चेहरे पर युवा उम्र की लुनाई ,नये रिश्ते के प्यार की चमक झिलमिलाती रहती थी। दो परिवारों ने ये रिश्ता तय किया था इसलिए अभी एक दूसरे को अच्छी तरह जाना नहीं था। एक दूसरे के लिए हम बने हैं---ये रिश्ता सात जन्मों का है---हम एक जान दो शरीर हैं ---जैसे लुभावने भ्रम में जी रहे थे। उन दोनों के चेहरे पर सहज मासूमियत व दुनियाँ जीत लेने ,प्यार पाने की खुशी रहती थी वर्ना हर सुख दुख की स्पष्ट छाप बनती जाती है । ‘दुनिया