पृथ्वी सूर्य के चारो तरफ चक्कर लगाती है तो जिन्दगी उम्मीदों की परिधि के चारों ओर चक्कर लगाती है। जो बीता वह जिन्दगी और जो बची हुई है – वही उम्मीद है। इसका ही दूसरा नाम आशा, आस, इच्छा, ख्वाहिश, उत्कंठा, भरोसा, सहारा, आसरा आदि है। उम्मीद मन का विश्वास है। लगातार लक्ष्य से दूर रह जाना और उसे हासिल न कर पाने के बावजूद लक्ष्य हासिल करने की जिजीविषा, संकल्प-शक्ति और सकारात्मक दृष्टिकोण उम्मीदों को सिंचित करता है। पूरी दुनिया आशा के ऊपर टिकी है। इसका कोई रूप-रंग नहीं है, लेकिन हर आदमी इसी के सहारे ज़िंदा है।