जिस पंक्ति का मैं और गहराई से वर्णन करता हूं तो आता है। की ऋषि बहुत तपस्वी थे और जनक की भात अपने पुत्रों और पुत्री की रक्षा भी करते थे परंतु श्री हरि के श्राप वश होने के कारण ही रावण को राक्षस रूप लेना पड़ा इसलिए ही रावण ने तांत्रिक सिद्धियां प्राप्त कर और उन पर कई उपाय भी किए। लंका को पाने में रावण ने अथक प्रयास किए। जो की कोई भी साहस नहीं कर सका। शिव द्वारा बनाई गई इस स्वर्ण नगरी लंका को रावण ने वरदान स्वरूप मांग लिया। शिव ने भी बड़ी प्रसन्नता से