वर्जित व्योम में उड़ती स्त्री - 4

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भाग चार अपने विद्रोही स्वभाव के चलते मैं हर जगह अनफ़िट हूँ | इसी वज़ह से न मेरा घर बस पाया, ना मैं परिवार बना सकी | एक हद के बाद मैं किसी की नहीं सुन सकती, न किसी को सह सकती हूँ, जबकि सहे बिना स्त्री का घर –परिवार नहीं बना रह सकता | झूठ, बेईमानी, धोखा मुझे असह्य है और किसी के दाब में रहना भी | हाँ, प्रेम से मुझे गुलाम बनाया जा सकता है और उसी प्रेम की तलाश में मैं ताउम्र भटकती रही, पर प्रेम होता तो न मिलता | इस संसार में सिर्फ स्वार्थ