यह उपन्यास डायरी विधा में लिखित एक स्त्री की दास्तान है। समाज ने स्त्रियों के लिए कुछ साँचे बना रखे हैं जैसे अच्छी माँ ....सुगढ़ गृहणी और फरमावदार बीबी, जो इन साँचों में फिट हो जाती है उसकी जिंदगी की गाड़ी आराम से चलती रहती है पर कुछ ऐसी भी होती हैं जो सिर्फ फिट होने को तैयार नहीं होतीं –वे अपने लिए अधिकार के साथ जगह चाहती हैं, उनकी दुर्दशा होती है । भाग एक – जब भी मैं अपने जीवन के विषय में सोचती हूँ तो सारा अतीत दृष्टि के समक्ष प्रतिबिम्बित हो जाता है | कितनी बड़ी