घर का डर - ३

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"क्या बकवास करते हो ? मैने ये कब कहा तुमसे ..? रसोइया खून जमा देने वाली हँसी के साथ एक अलग ही आवाज़ में बोला, "चुपचाप घर पर खाना देकर आजायेगा, वरना आपके पिताजी भी सरपंच थे गांव के पर खुदको बचा वो भी नहीं पाए रसोइए ने एक इतनी बड़ी बात खड़ी थी जो नन्दन सोच नही पाया था.. उसने जब पूछा की वो कहना क्या चाहता है ? तो रसोइए ने उसी मुस्कान के साथ कहा " आपके पिताजी भी एक दिन खाना ले जाना भूल गए थे इसलिए तो ये हाल हुआ.. आप मत भूलिएगा और अब जाइए