रामनगर में एक किसान रहता था,जिसका नाम रामसजीवन था,उसकी मेहरारू बिंदिया और वो दिनभर खेतों में कड़ी मेहनत करते थे,तब जा के दो वक़्त के खाने का जुगाड़ हो पाता था, धीरे-धीरे वक़्त गुजरता गया , रामसजीवन और बिंदिया दो बच्चों के माता-पिता बन गए, उन्होंने बेटे का नाम पूरन रखा और बिटिया का आशा।। वक़्त गुजरते कहां देर लगती है, दोनों बच्चे अब स्कूल जाने लगे, दोनों ही बच्चों ने अब दसवीं और बारहवीं की परिक्षाएं भी पास कर दीं, दोनों ही बच्चे पढ़ाई में होशियार थे, लेकिन गांव के आस पास कहीं भी बारहवीं के बाद पढ़ने