जीवन ऊट पटाँगा - 7 - आप ही का साला

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नीलम कुलश्रेष्ठ आदमी जिस जगह की मिट्टी से बना होता है वहीं के रिश्तेनाते उस में कहीं गहरे रचबस जाते हैं । न वह उसका पीछा छोड़ते हैं न उन की यादें पीछा छोड़ती हैं । जब मयंक ने दरवाजा खोला तो आने वाले का प्रश्न था, “होलीपुरा के मयंक चतुर्वेदी का मकान यही है ?” आने वाले व्यक्ति गंदे कपड़ों, बिखरे बालों व उदास चेहरे से यह साफ जाहिर हो रहा था कि वह बड़ा परेशान है तथा किसी बड़ी विपत्ति का मारा है । बड़ी हताश मुखमुद्रा में झिझक व संकोच सहित वह दरवाजे पर खड़ा था ।