मैं तो ओढ चुनरिया अध्याय – सत्ताइस मामा का पागलपन थमने का नाम ही नहीं ले रहा था । हर रोज वे अपने पागलपन में किसी को पकङ कर पीट देते । घर में तोङफोङ करते या फिर खुद को ही चोट पहुँचा लेते । इस बीच उन्होंने दो बार आत्महत्या की कोशिश भी की पर हर बार बचा लिये गये । बेचारी नानी और छोटे मामा , जहाँ भी कोई बताता , वहीं उन्हें ले जाते । कोई मंदिर , कोई गुरद्वारा , कोई मजार उन्होंने नहीं छोङा । हर रोज नया गंडा ताबीज उनके गले और