‘अमृत-अणु’ की खोज

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कोरोना के कारण जिंदगी थोड़ी धीमी चलने लगी। सर्वत्र खामोशी छाई हुई है! अब प्रकृति से जनसामान्य जुड़ने की चेष्टा में है। सुबह प्रकृति सभी से चिड़िया की चहचहाहट से प्रेम से बात करने कहती है। मगर हाय रे मानव! क्या से क्या कर डाला? विषाणु बना डाला – मानव को बीमार करनेवाला! ख़त्म करनेवाला! मनुष्य के स्वास्थ्य और प्रसन्नता का ख्याल नहीं रखा। जबकि मनुष्य जानता है कि एक दिन सभी को जाना है। तो सुकून वाला काम करना था। सभी को शान्ति मिलती। ऐसा करने से किसने रोका था? प्रकृति की रक्षा, उसके सम्मान का संकल्प वाला काम