अनोखी दुल्हन - ( असलियत १० ) 25

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" तो क्यों ना में गुमशुदा आत्मा को अपने साथ ले जावू ? तुम भी छूट जाओगे और में भी।" यमदूत की बात पर आगे वीर प्रताप कुछ कह पाए तभी वापस दरवाजे की घंटी बजी।विर प्रताप घर के बाहर गया। " क्या हुआ ?" " तुम बताओ मुझे। क्या मैं अनोखी दुल्हन हूं या नहीं?" जूही ने पूछा।" हा । तुम हो।" वीर प्रताप ने गंभीर भाव लाते हुए कहा।" तो क्या अब मैं तुम्हारी नजरों में कीमती हूं ?" जूही एक आशा के साथ उसे देख रही थी।" हां तुम हो।" वीर प्रताप।" इसका मतलब अब तुम यहां से