शायरी

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1. ज़िंदगी का सफर ज़िंदगीका सफर कुछ इस कदर काट रहे है, थक चुके है पर सब में खुशी बाँट रहे है। हां, हमें पता है यहाँ सब है आस्तिन के साँप, पर लोग इतना बखूबी धोखा कैसा देते है, हम यह जाँच रहे है। 2. रकीबो से कुछ ख़्वाब हम इस कदर सजाय बैठा थे, चिरागोकी ज़गह हम अपना घर जलाय बैठे थे। और, सारी उम्र जिसे हम समझते रहे अपना 'निशांत' वो तो रकीबो से हाथ मिला बैठे थे। 3. आग सब के दिलों में