यादें.. सुनो! बारिशों में तुम्हारा ख़्याल आता है।तुम कहां हो,कैसे हो, अब कब आओगे अक्सर ये सवाल रह जाते हैं। मन भाग कर तुम्हारे पास जाता है। मन कितना अजीब होता है न यह कब क्या मांग जाए पता नहीं चलता।अब भी तुम्हारा नंबर तुम्हारे ही नाम से सेव है, कि तुम किसी रोज फोन करोगे, मैं तुम्हारी आवाज़ ही पहचान लूंगा, लेकिन फिर भी वह वैसे ही सेव है, कभी कभी उस पर फोन कर लेता हूं,और घंटी के बाद आती आवाज़,आप जिस व्यक्ति से संपर्क करना चाहते हैं वह अवैलबल नहीं है...लगता है कि तुम ही बोल