पिता के विभिन्न रूप

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भारतीय समाज में माता-पिता का स्थान काफी ऊँचा माना गया है। एक बार देवताओं में त्रिलोक-भ्रमण की होड़ लगी थी। उस वक्त भगवान श्रीगणेश ने अपनी बुद्धि का प्रयोग करते हुए अपने माता-पिता की प्रदक्षिणा कर त्रिलोक-भ्रमण के पुण्य को अर्जित कर लिया था। अतः माता के स्थान के साथ पिता के स्थान को भी महत्त्व दिया गया है। हमारी संस्कृति में अनेक पिता ऐसे हुए हैं जिन्होंने अपने आदर्शों से अपने पुत्र का लालन-पालन किया। इस कड़ी में सर्वप्रथम अयोध्या के महाराज दशरथ तथा भगवान श्रीराम को रख सकते हैं। उन्होंने अपने पिता को कुल-खानदान की मर्यादा को