बोधू के पिता दीनू ने अपने 1 बीघे खेत मे अमरूद का बगीचा लगाया था।दीनू ने इन्हें बच्चों की तरह पाला था एक एक पौधे की रखवाली में उन्होंने रात दिन एक कर दिए थे।देर से ही सही कड़ी मेहनत रंग लाती ही है।पौधे बड़े होकर पेड़ बनने लगे तो उनमें फल लगने लगे।अब अमरूद का बगीचा खूब लहलहाता था तो पड़ोसियों के हृदय में शूल उठते थे।दीनू ज्यादा दिन बगीचे को लहलहाता देख न सके।एक रात जो वह सोए तो फिर उठ न सके।जाते जाते दीनू ने दोनो बेटों बोधू और गोधू के लिए बगीचा तैयार कर दिया था।बोधू