स्टेट बंक ऑफ़ इंडिया socialem (the socialization) - 24

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या तो फिर कोई ऐसा परिवल ढूंढ के लाए जिससे हमारी करेंसी सिर्फ हमारे ही घर में रहे. मुद्राओं के काल में जीन चीज वस्तु के मोल काने, पैसे से आगे बढ़ नहीं पा रहे थे, उन्हीं चीज वस्तुओं के भाव पेपर करेंसी के दौर में आकाश गत (हजारों में) हो गए. यानी कि आजादी के पहले यदि सोना महेस 60 70 रु का 10 ग्राम हुआ करता था, वही सोना आज 40 50 हजार के आसपास बुलाता है. बात केवल एक सोने की ही नहीं, यह केवल एक उदाहरण है. बस, सर्वसामान्य है. इसके मतलब यही होते हैं की आजादी के पहले