अनजान रीश्ता - 44

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अविनाश स्टेज पर गाना तो गा रहा था लेकिन उसका दिल मानो वही अस्पताल में ही था वैसे तो वह यह सारी की सारी चीजें जगमगाहट देख रहा था पर वह बार-बार पारुल को ही मन में याद कर रहा था । वह सोच रहा था कि पारुल को होश आया होगा या नहीं या फिर उसे कुछ हुआ तो नहीं होगा यह सारे ख्याल उसके मन में घूम रहे थे वह मानो जैसे एक मूर्ति बनकर स्टेज पर खड़ा था । वह किसी भी तरह जल्द से जल्द यहां तो खत्म करके यहां से जाना चाहता था लेकिन वह ऐसा