महेश कटारे - इस सुबह को नाम क्या दूँ 1 रामरज शर्मा अभी अपना स्कूटर ठीक तरह से स्टैंड पर टिका भी नहीं पाए थे कि उनकी प्रतीक्षा में बैठा भगोना-चपरासी खड़ा हो, चलकर निकट पहुँच गया-''मालिक आपकी बाट देख रहे हैं ....बहुत जरूरी में ....मैं यहाँ चार बजे से बैठा हूँ।'' भगोना ने सूचना, कार्य की गंभीरता और उलाहना एक साथ बयान कर दिया। ''क्यो ?'' स्कूटर के सही खड़े होने के इत्मीनान की खातिर उसे जरा-सा हचमचाकर परखते हुए शर्मा जी ने पूछा। भगोना कोई उत्तर न दे चुपचाप खड़ा रहा। वह चपरासी है-उसे