रात - 8

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रात के तीन बजे थे। पूरी हवेली में अंधेरे का साम्राज्य छाया हुआ था। जमीन पर एक छोटी सी पिन भी गिरे तो आवाज आए, इतनी शांति थी। सभी अपने-अपने कमरों में सो रहे थे। अचानक हवेली में किसी के चलने की आवाज आई। किसी ने धीमी आवाज में कहा, "श.........! चलने की आवाज नहीं आनी चाहिए। कोई उठेगा तो हम मुसीबत में पड़ जाएंगे।" मोंटू ने कहा, "रोहन! लेकिन हम इतनी रात को कहाँ जा रहे हैं? ये अंधेरा तो देखो! मुझे बहुत डर लग रहा है।" रोहन ने कहा, "तुम मुंह बंध कर के मेरे साथ चलो।"