अवतार आलेख सनातन अवतारवाद और विकासवाद के संबंध पर आधारित है । आख्यानों की अधिकता के बवजूद भी संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत किया है । आख्यानों के विस्तार को सुधी पाठक अलग से पढ़ सकते है ।आपका सहमत होना जरूरी नहीं है । अपने अभिमत को अंकित अवश्य करें । जीव विकास क्रम वैदिक शास्त्रों के अनुसार जब-जब धर्म घटता है और अधर्म बढ़ता है तब-तब धर्म की स्थापना और अधर्म के विनाश के लिये भगवान विष्णु अवतार लेते है। धर्म की व्याख्या यदि संक्षेप में की जाए तो जीवन जीने की वह कला जो सत्य व सनातन