थैंक यू

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आज उमा बहुत उदास है। पति के जाने के बाद दो ही सहारे थे ज़िन्दगी का सूनापन काटने के -- कॉलेज की नौकरी और नेहा। नेहा अब बारहवीं पास करके मुम्बई चली गयी। अब तो उसके कॉलेज का एक सेमेस्टर भी खत्म हो गया। लगभग रोज़ फोन पर बात होती है। पर आज कुछ अजीब सा खालीपन कचोट रहा है। शुक्र है लेक्चरर की नौकरी है वरना तो यह तन्हाई जान ले लेती। लम्बी सांस खींचकर वो उठी। एक प्याला कॉफी हाथ में थामे नेहा के कमरे का रुख किया। तस्वीर में मुस्कुराती बेटी कह उठी -- चिल ममा !