चलो, कहीं सैर हो जाए... 3

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शाम का धुंधलका घिरने लगा था । रास्ते के दोनों किनारे करीने से सजी दुकानें रोशनी से नहा उठी थीं । हम लोग एक किनारे से धीरे धीरे चलते हुए भवन की ओर अग्रसर थे ।भीडभाड तो थी ही बीच बीच में घोड़ों की आवाजाही से भीड़ में अफरातफरी मच जाती । यात्रियों के शोरगुल के बीच में उत्साही यात्रियों द्वारा लगाया गया माता का जयकारा भी कभी कभी गूंज उठता । हम थोड़ी ही दूर लगभग एक किलोमीटर ही चले होंगे की हमें माताजी का चरण पादुका मंदिर दिखाई पड़ा ।मंदिर के बाहर ही मातारानी के प्रथम दर्शन का