धारा अपनी ही गुत्थमगुत्था में लगी हुई थी कि उसे अपने पैरों पर किसी का स्पर्श महसूस हुआ ! देव बाम लगा रहा था उसके पैर में !! धारा ने देव से पूछा , " जब तुम्हे सबकुछ पहले ही याद आ चुका था तो तुम आये क्यों नही वापस..?? आज ध्रुव तुमपर ऐसे सवाल खड़े नही करते और न ही आरोप लगाते !!" देव , " धारा ... कुछ समय तो मुझे नार्मल होने में ही लग गया!! मैं चाहता था वापस आ जाऊँ यहां ! पर मैं ये भी जनता था कि एक बार जान बच चुकी है