टापुओं पर पिकनिक - 45

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आज आगोश अजीब सा ही बर्ताव कर रहा था। वह सूरत से भी बेहद भोला- मासूम सा दिख रहा था। जैसे कोई बेबस कबूतर हो, जिसका घोंसला तोड़- फोड़ कर फेंक दिया गया हो। तिनका- तिनका गायब! तीन- चार दिन में आर्यन के लौट आने के बाद आज वो सब दोस्त फ़िर से एक सूने कैफे में एक काली उदास मेज के इर्द - गिर्द इकट्ठे थे। जब आगोश ने आर्यन को कमरे पर हुई चोरी के बारे में बताया तो आर्यन का मुंह लटक गया। आगोश हंसा और आर्यन को चिढ़ाने लगा- ले साले, मेरा तो जो हुआ सो