पश्चिमी दुनिया बहुत क्रूर, निर्मम है। यह मनुष्य को औसत दर्जे का होने के लिए मजबूर करता है। यह हर कदम पर चोट पहुँचा कर दम लेता है। इस जगत में माँ-पिताजी को छोड़कर प्रायः लोग मनाते हैं कि लोग असफल हों। तब दुनिया असफल होने का जश्न मनाती है। दुनिया के खिलाफ जाने के लिए तथा सफल होने के लिए मनुष्य को असाधारण ऊर्जा की जरूरत होती है। यदि हम उर्जा बर्बाद एक सेकंड भी करते हैं तो सफल नहीं हो सकते। पश्चिमी देशों ने अपने नागरिकों के जीवनयापन के लिए असीमित ऊर्जा लगायी। एक क्षण भी बर्बाद