गनीमत रही कि पार्टी आगोश ने दी थी।अगर आर्यन ने दी होती तो तमाशा खड़ा हो जाता।तमाशा तो होता ही... अगर किसी पार्टी में मेज़बान, अर्थात पार्टी देने वाला ही न आए तो भला बेचारे मेहमानों का क्या होगा?तो उस रात आर्यन पार्टी में पहुंचा ही नहीं। जबकि आगोश ने ये पार्टी अपने दोस्त आर्यन के लिए इसी ख़ुशी में दी थी कि आर्यन को एक बड़े टीवी सीरियल में काम करने का चांस मिल गया था।काफ़ी देर इंतजार करने के बाद जब सिद्धांत ने कई बार आर्यन को फ़ोन मिलाया तो उसका फ़ोन स्विच ऑफ आया। सब कोशिश कर-