अर्पण--भाग (१३)

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इधर राज और श्रीधर का आए दिन मिलना बरकरार रहा,आज दिन दोनों ही शाम को कहीं सैर के लिए निकल जाते हैं या कि रेस्तरां में डिनर करते,तो कभी किसी नुमाइश में चले जाते,कमलकिशोर जब भी राज से कहीं सैर के लिए कहता था तो वो वक़्त नहीं है का बहाना बनाकर टाल जाती,इससे कमलकिशोर का मन खिन्न हो जाता।। फिर एक शाम शहर की सड़कों के बीचों बीच राज की मोटर चली जा रही थीं, रेडलाइट पर राज ने मोटर रोकी तभी उसी वक़्त कमलकिशोर भी अपनी मोटर में राज की मोटर के बगल में जा खड़ा हुआ,उसने